हमराह
कुछ नही चाहिए हमे अब जमाने से।
तडपते थे उदास होकर हम अकेले से,
मिला है फिर सुकूने दिल तेरे आने से,
कुछ नही चाहिए हमे अब जमाने से।
बेरंग था गुलिस्तां दिल के आशिया मे,
महकी है अब दुनिया मेरी अरमानो से,
कुछ नही चाहिए हमे अब जमाने से।
नही होना उदास तुम कभी ए आबिद
बहुत है जो भी मिला दिल लगाने से।
कुछ नही चाहिए हमे अब जमाने से।
आबिद गोरखपुरी
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