kosis


कल रात कुछ ये माजरा हुआ।
दिल बाग बाग ये हमारा हुआ।
बैठे बतिया रहे थे दोस्तो संग।
के ज्रिक बज्म मे तुम्हारा हुआ।
आबिद गोरखपुरी
yu hi gr rkhe kyal jazbato ka,
na phir kabhi dil tutega kisika.
abid gorkhpuri


hai bulndiya bulati tumhe......aage bdo or apna na lo inhe


 8 june
आज के दिन हम दुनिया मे आए।
कई बरस अब तक हमने बिताए।
खूब रिश्ते नाते यहा हमने बनाए।
कुछ खटटी कुछ मिठी यादें सजाए।
जिए जा रहे है सबको गले लगाए।
आज जागे तो ढेरों बधाई संदेश पाए।
यही कोशिश हमारी हमे सब अपनाए।
गलती से भी ना दिल किसी का दुखाए।
तमाम चाहने वालो को हमारी ढेरों दुआए।
आबिद गोरखपुरी









कल थे दिल्ली दिल्ली दिलदार देखी।
लोगो,गाडियो कि वहा भरमार देखी।
गलियो मे आपस की तकरार देखी।
बिज्ली तार गुच्छो की भरमार देखी।
चीजो मे असल नकल बेशूमार देखी।
हेरा फेरी खूब हमने सरे बाजार देखी।
आम जन की हालत जार- जार देखी।
शाम ढले वहा जिंदगी चमकदार देखी।
फलाईओवर कि बढती रफतार देखी।
रेहडी पे गर्म बिरयानी मजेदार देखी।
पानी के लिएभी होती मारामार देखी।
दिल्ली मे बदहाली हमने अपार देखी।
तन्हा औरत की इज्जत तार-2 देखी।
कही इंसानियत होती शर्मशार देखी।
कही जनता हमने सलिकेदार देखी।
इनसबके बावजूद दिल्ली दिलदार देखी।
और ये आपने हमारी दिल्ली की यादगार देखी।
आबिद गोरखपूरी



हमारी बेनियाजी को बेवकुफी समझ लिया।
हमे बेबस कहने वाला खुद बेबहरा निकला।
आबिद गोरखपुरी



क्यो अंजाना कोई पल मे अपना बन जाता है।
फिर दिल दुखाके वही एक दिन चला जाता है।
हम रह जाते है हरपल उसकी याद मे तडपते।
वो शख्स नजाने कैसे इस दिल को मनाता है।

हम कुछ नादान है शायद हममे कोई कमी हो।
वो सबकुछ जानते हुए क्यो ऐसा कर जाता है।
क्यो अंजाना कोई पल मे अपना बन जाता है।
फिर दिल दुखाके वही एक दिन चला जाता है।

अपना जानकर हम दिल के हर राज बताते है।
वो जाने क्यो हमारे जज्बातों से खेल जाता है।
क्यो अंजाना कोई पल मे अपना बन जाता है।
फिर दिल दुखाके वही एक दिन चला जाता है।

आबिद गोरखपुरी

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