Dil ki Batten
आज दिन निकला अपने अंदाज मे।
है कुछ बदलाव हमारे भी मिजाज मे।
गऐ गहराई मे तो मालूम हुआ हमे।
है दुआंए अपनो कि इस आगाज मे।
आबिद गोरखपुरी
रात भर यूंही जगते है।
आसमान को तकते है।
नींद क्यो ना आती हमे
बस यही सोचा करते है।
हर रात यही किस्सा है।
फिर भी ना सम्भलते है।
होगा हल कब ये माजरा।
रोज खुद से पूछा करते है।
आबिद गोरखपुरी
क्यो न फिर सब इंसान बन जाए।
जमीं पे फिर नया जहान बन जाए।
प्यार हो जहा हर शक्स के दिल मे।
हर कोई इकदूजे कि जान बन जाए।
आबिद गोरखपुरी
ना बदल खुद को इतना जमाने के लिए।
के ना रहे मादा खुदी को पहचानने के लिए।
आबिद गोरखपुरी
यॅूही यकीन अगर खुदा पर रहेगा।
इंशाअल्लाह खुदा हर दुआ सुनेगा।
आबिद गोरखपुरी
बरसो गवा दिए यहॅा हमे जान पहचान मे।
मिला ना कोइ अपना उम्र बीती इस काम मे।
आबिद गोरखपुरी
Na smazh ske ab tk jindgi ka falsfa
diya dard jisne de rha hai vhi hosla
abid gorkhpuri
Kre kuch aesa ki har dam kushi rhe
N hm dukhi ho n hmse koi dukhi rhe
Abid Gorkhpuri
आज फिर किसी ने किया परेशा।
आज फिर हम भी हो गए परेशा ।
आबिद गोरखपुरी
तन्हा है हम मगर कोई गम नही।
जो है हमारे पास कुछ कम नही।
"आबिद गोरखपुरी"
खुदी को ना देते हौसला तो क्या करते।
कब तक जमाने के हाथो मरते रहते ।
"आबिद गोरखपुरी"
ksm-o-kas me hai sab yha,
rab jane insan kya dund rha
abid gorkhpuri
है कुछ बदलाव हमारे भी मिजाज मे।
गऐ गहराई मे तो मालूम हुआ हमे।
है दुआंए अपनो कि इस आगाज मे।
आबिद गोरखपुरी
रात भर यूंही जगते है।
आसमान को तकते है।
नींद क्यो ना आती हमे
बस यही सोचा करते है।
हर रात यही किस्सा है।
फिर भी ना सम्भलते है।
होगा हल कब ये माजरा।
रोज खुद से पूछा करते है।
आबिद गोरखपुरी
क्यो न फिर सब इंसान बन जाए।
जमीं पे फिर नया जहान बन जाए।
प्यार हो जहा हर शक्स के दिल मे।
हर कोई इकदूजे कि जान बन जाए।
आबिद गोरखपुरी
ना बदल खुद को इतना जमाने के लिए।
के ना रहे मादा खुदी को पहचानने के लिए।
आबिद गोरखपुरी
यॅूही यकीन अगर खुदा पर रहेगा।
इंशाअल्लाह खुदा हर दुआ सुनेगा।
आबिद गोरखपुरी
बरसो गवा दिए यहॅा हमे जान पहचान मे।
मिला ना कोइ अपना उम्र बीती इस काम मे।
आबिद गोरखपुरी
Na smazh ske ab tk jindgi ka falsfa
diya dard jisne de rha hai vhi hosla
abid gorkhpuri
Kre kuch aesa ki har dam kushi rhe
N hm dukhi ho n hmse koi dukhi rhe
Abid Gorkhpuri
आज फिर किसी ने किया परेशा।
आज फिर हम भी हो गए परेशा ।
आबिद गोरखपुरी
तन्हा है हम मगर कोई गम नही।
जो है हमारे पास कुछ कम नही।
"आबिद गोरखपुरी"
खुदी को ना देते हौसला तो क्या करते।
कब तक जमाने के हाथो मरते रहते ।
"आबिद गोरखपुरी"
ksm-o-kas me hai sab yha,
rab jane insan kya dund rha
abid gorkhpuri
बहुत बढ़िया ....और आपके लिए बहुत सी दुआएं ...
ReplyDeletethnx sir for ur blessing
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